त्‍योहार Archives - Local cube.in https://www.localcube.in/festival/ हिंदी न्यूज़, ब्रेकिंग न्यूज़, Latest News In Hindi Mon, 14 Apr 2025 10:54:07 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://i0.wp.com/www.localcube.in/wp-content/uploads/2025/03/cropped-localcube_logo.jpg?fit=32%2C32&ssl=1 त्‍योहार Archives - Local cube.in https://www.localcube.in/festival/ 32 32 236804266 मुख्यमंत्री ने कर्णप्रयाग बैशाखी मेला-2025 को वर्चुअल माध्यम से किया संबोधित https://www.localcube.in/uttarakhand/chief-minister-addressed-karnaprayag-baisakhi-mela-2025-through-virtual-medium/ https://www.localcube.in/uttarakhand/chief-minister-addressed-karnaprayag-baisakhi-mela-2025-through-virtual-medium/#respond Mon, 14 Apr 2025 10:54:07 +0000 https://crimepatrol.live/?p=92097 मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कर्णप्रयाग में आयोजित बैशाखी धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक एवं विकास मेला-2025 को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने क्षेत्र के विकास हेतु कई घोषणाएं की, जिनमें पार्किंग, सड़क और बाढ़ सुरक्षा कार्य शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने मेले को सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय आर्थिकी को सशक्त बनाने वाला बताया। उन्होंने नंदा देवी […]

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कर्णप्रयाग में आयोजित बैशाखी धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक एवं विकास मेला-2025 को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने क्षेत्र के विकास हेतु कई घोषणाएं की, जिनमें पार्किंग, सड़क और बाढ़ सुरक्षा कार्य शामिल हैं।

मुख्यमंत्री ने मेले को सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय आर्थिकी को सशक्त बनाने वाला बताया। उन्होंने नंदा देवी राजजात यात्रा, चारधाम परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन और महिला सशक्तिकरण योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। राज्य सरकार द्वारा सांस्कृतिक संरक्षण और रोजगार सृजन पर जोर देने की बात कही गई।

मुख्यमंत्री ने कहा राज्य सरकार विकास कार्यों के साथ प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में कार्य कर रही है। केदारनाथ धाम में करोड़ों की लागत से वृहद स्तर प पुनर्विकास के कार्य किए जा रहे हैं । बद्रीनाथ धाम में 424 करोड़ रूपए की लागत से मास्टर प्लान के अंतर्गत विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। बाबा केदारनाथ धाम और हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे निर्माण की भी स्वीकृति भारत सरकार से प्रदान हो गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले वर्ष कर्णप्रयाग के नौटी गांव से मां नंदा देवी की राजजात यात्रा प्रारंभ होगी, जिसके लिए राज्य सरकार अभी से तैयारियों में जुट गई है। उन्होंने कहा इस बार की राजजात यात्रा को हम सब मिलकर और अधिक भव्य और दिव्य रूप में मनाएंगे।

पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने तथा स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए भी कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर कार्य गतिमान है। एक जनपद-दो उत्पाद योजना, लखपति दीदी योजना के माध्यम से प्रदेश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने का कार्य जारी है। उन्होंने कहा राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, एवं पर्यटन और कृषि क्षेत्र में भी नई संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं।

 

Reported By: Praveen Bhardwaj

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ईद उल फितर: खुशियों और भाईचारे का पर्व https://www.localcube.in/festival/eid-ul-fitr-a-festival-of-happiness-and-brotherhood/ https://www.localcube.in/festival/eid-ul-fitr-a-festival-of-happiness-and-brotherhood/#respond Mon, 31 Mar 2025 05:41:31 +0000 https://crimepatrol.live/?p=90779  ब्यूरो: आज ईद उल फितर का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। हजारों लोगों ने देश और प्रदेश में खुशहाली की मांगी दुआएं।    देखे वीडियो:

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 ब्यूरो: आज ईद उल फितर का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है।
हजारों लोगों ने देश और प्रदेश में खुशहाली की मांगी दुआएं।

 

 देखे वीडियो:

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‘फूल देई, वोट देई’ अभियान चलाकर बच्चों ने संभाली जिम्मेदारी https://www.localcube.in/uttarakhand/children-took-responsibility-by-running-the-campaign-phool-dei-vote-dei/ https://www.localcube.in/uttarakhand/children-took-responsibility-by-running-the-campaign-phool-dei-vote-dei/#respond Sat, 22 Mar 2025 07:41:34 +0000 https://crimepatrol.live/?p=90186 उत्तराखंड की लोक परंपरा फूल देई इस बार रुद्रप्रयाग में खास अंदाज में मनाई जा रही है। परंपरा निभाते हुए जहां बच्चे घर-घर देहरी पर फूल बिखेर रहे हैं, वहीं लोकतंत्र के इस महापर्व को लेकर भी एक अनूठा संदेश दे रहे हैं। जनपद के तीनों विकासखंडों में इन दिनों स्वीप (SVEEP) कार्यक्रम के तहत […]

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उत्तराखंड की लोक परंपरा फूल देई इस बार रुद्रप्रयाग में खास अंदाज में मनाई जा रही है।
परंपरा निभाते हुए जहां बच्चे घर-घर देहरी पर फूल बिखेर रहे हैं, वहीं लोकतंत्र के इस महापर्व को लेकर भी एक अनूठा संदेश दे रहे हैं। जनपद के तीनों विकासखंडों में इन दिनों स्वीप (SVEEP) कार्यक्रम के तहत ‘फूल देई, वोट देई’ अभियान जोर-शोर से चलाया जा रहा है। बच्चे फूलों के साथ मतदाता जागरूकता का संदेश भी दे रहे हैं—”जैसे देहरी पर फूल डाले, वैसे वोट डालना न भूलें।”

SVEEP के जिला समन्वयक वी.के. यादव ने बताया कि यह अभियान पूरे मार्च माह तक चलेगा। बच्चों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है और गांव-गांव जाकर वे लोगों से मतदान में भागीदारी की अपील कर रहे हैं।उन्होंने बताया कि इस अनोखे प्रयास का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोक पर्व और लोकतंत्र दोनों की महत्ता को जोड़ते हुए लोगों को यह संदेश देना है कि जैसे ‘फूल देई’ में हर किसी की सहभागिता जरूरी है, वैसे ही लोकतंत्र के पर्व में वोट डालना भी सबकी जिम्मेदारी है।ग्रामीणों में भी इस अभियान को लेकर उत्साह है। लोग बच्चों की इस अनूठी पहल की सराहना कर रहे हैं।
खास बात यह है कि इस बार ‘फूल देई’ सिर्फ खुशहाली की दुआ लेकर नहीं आई, बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने का संदेश भी साथ लाई है।

 

Reported By: Rajesh kumar

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“राठ होल्यारों का प्रयास: सांस्कृतिक जड़ों को पुनर्जीवित करने की सार्थक पहल” https://www.localcube.in/uttarakhand/efforts-of-rath-holiyaars-a-meaningful-initiative-to-revive-cultural-roots/ https://www.localcube.in/uttarakhand/efforts-of-rath-holiyaars-a-meaningful-initiative-to-revive-cultural-roots/#respond Fri, 21 Mar 2025 05:42:36 +0000 https://crimepatrol.live/?p=90064 पुराणी ड्येली गया तुम्हारी तख ताला लग्यांन। हेंसदी खेलदी तिबारी तख सुन पड्यांन छन। आवा गोला भेंटा हमारा हम भारी खुदियांन। खट्टी मीठी छवीं पुराणी ऊंतै लगोला। चला म्यरा मैत्यूं घोर बोडोला। होलियारों की होली मैत्यूं मा जाली। हेंसियां खेल्यां बित्यां दिनों याद दिलाली। अर्थात इस गढ़वाली गीत के गायक सचिन पुसोला कहते हैं, ‘हम […]

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पुराणी ड्येली गया तुम्हारी तख ताला लग्यांन।
हेंसदी खेलदी तिबारी तख सुन पड्यांन छन।
आवा गोला भेंटा हमारा हम भारी खुदियांन।
खट्टी मीठी छवीं पुराणी ऊंतै लगोला।
चला म्यरा मैत्यूं घोर बोडोला।
होलियारों की होली मैत्यूं मा जाली।
हेंसियां खेल्यां बित्यां दिनों याद दिलाली।

अर्थात इस गढ़वाली गीत के गायक सचिन पुसोला कहते हैं, ‘हम आपके पुराने घर के चौखट पर गए तो दरवाजे पर ताला लगा है। जिन घर के बरामदे में आप लोग हंसते और खेलते थे, वह सुनसान पड़ी हुई है। आओ हमारे गले लग जाओ, हम भारी याद करते हैं आपको। वहाँ पहुँच कर अच्छी बुरी बात करेंगे। चलो, मेरे मायके वाले वापस घर का रास्ता देखेंगे। आज हम होल्यारों की होली मायके वालों के पास जाएगी और गांव-घर की हंसने-खेलने की बीते दिनों की याद दिलाएगी.’

राज्य के पौड़ी गढ़वाल का राठ क्षेत्र, अपनी सांस्कृतिक धरोहर और समृद्ध परंपराओं के लिए जाना जाता है। हर वर्ष होली का पर्व यहाँ बिंदास तरीके से मनाया जाता है, लेकिन इस बार की होली ने एक खास मोड़ लिया है। राठ त्रिपट्टी होली के बैनर तले 19 लोगों की एक टीम ने देहरादून में तीज-त्योहार का रंग बिखेरने का कार्य किया। उनके साथ थीं रंग-बिरंगी ड्रेस, हारमोनियम और ढोलक, और युवाओं के सुरीली कंठ, जिससे उन्होंने अपने गीतों की छटा बिखेरी। इन होल्यारों ने तीन दिनों तक देहरादून में राठ क्षेत्र के निवासियों के घर -घर जाकर उनके बीच अपनी होली गीतों की प्रस्तुति दी। उन्हें अपने गांव और संस्कृति के प्रति एक अटूट लगाव था, और वे अपने गीतों में पलायन की समस्या को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त कर रहे थे। वे गांव में लौटने का संदेश दे रहे थे, यह याद दिलाते हुए कि जो घर उन्होंने छोड़े हैं, वहाँ ताले लगे हुए हैं। इस संदर्भ में, उनके गीतों में एक गहरी भावना विद्यमान थी, जो देहरादून में बसे राठ क्षेत्र के लोगों को अपने गांव की याद दिला रही थी।

इन गानों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, और एक अद्भुत प्रतिक्रिया उत्पन्न की। लगभग 50 लाख पहाड़ी लोगों ने इन गीतों को देखा, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि राठ क्षेत्र के लोगों के दिल में अपने घर और गांव के प्रति कितनी लगन है। ये गीत केवल मनोरंजन का स्रोत नहीं थे, बल्कि एक सामाजिक संदेश का माध्यम भी बने। महिलाएं इन गीतों को सुनते हुए भावुक हो जाती थीं, जिससे पता चलता है कि उनका गांव और संस्कृति उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, इस बार की होली ने न केवल रंगों का पर्व मनाया, बल्कि यह भी दर्शाया कि गांवों की अर्थव्यवस्था और संस्कृति में पुनर्निवेश की कितनी आवश्यकता है। राठ क्षेत्र के होल्यारों की यह कोशिश एक मूल्यवान कदम है, जिसके द्वारा वे अपने गांव के लोगों को जोड़ने और उनके दिलों में अपनी जड़ों को पुनर्जीवित करने का कार्य कर रहे हैं। उनकी यह प्रयास हमें याद दिलाता है कि हमें अपने घरों और गांवों से कभी नहीं कटना चाहिए, क्योंकि वही हमारी पहचान और संस्कृति का आधार होते हैं। समाज में ऐसे प्रयासों की सराहना होनी चाहिए, जो लोगों को उनके घरों और सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का कार्य करते हैं। यही कारण है कि इस बार की राठ त्रिपट्टी होली ने सभी के दिलों में एक नए उत्साह और सकारात्मक सोच का संचार किया है।

वरिष्ठ पत्रकार संतोष चमोली ने अपने अखबार हिंदुस्तान में दिया स्थान
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श्री संतोष चमोली, जो कि देहरादून के एक प्रमुख पत्रकार हैं, ने अपने अखबार हिंदुस्तान में इन होल्यारों की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि राठ की इस टीम ने तीन दिन तक उन लोगों के घरों में जाकर गीत गाए, जो कि राठ के मूल निवासी हैं। यह उल्लेखनीय है कि उन्होंने राजनीति और शक्ति के केंद्रों से दूर रहकर, आम जनता के बीच गीतों के जरिए संदेश देने का कार्य किया। उनका उद्देश्य केवल गीत गाना नहीं था, बल्कि अपने लोगों को उनकी मातृभूमि, गांव, खेत-खलिहान, और तिबार की याद दिलाना था। पलायन की समस्या उत्तराखंड की एक गंभीर चुनौती है। युवा पीढ़ी काम की तलाश में बड़े शहरों की ओर बढ़ जाती है, जिससे गांवों की संस्कृति और परंपराएं प्रभावित होती हैं। बेहतर स्वास्थ्य, बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए छोटी मोटी नौकरी करने वाले लोग भी बड़ी संख्या में पहाड़ को अलविदा कह चुके हैं। पिछले दस साल से पर्वतीय क्षेत्रों में गांव के गांव खाली हुए हैं। ऐसे समय में, राठ के होल्यारों ने अपने गीतों के माध्यम से इस समस्या की गंभीरता को उजागर किया। उनके गीतों में गाँव की मिट्टी की सुगंध और खेतों की हरियाली का बोध था। यह सुनकर माताओं-बहनों की आंखों में आंसू आ गए, क्योंकि उन शब्दों में उनका अपना गाँव और उनकी यादें छिपी थीं। होलियारों का यह अनोखा प्रयास न केवल सांस्कृतिक विरासत के प्रति अपार प्रेम दर्शाता है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि हमें अपने घर और जड़ों के प्रति सदैव समर्पित रहना चाहिए। उनकी कला ने हमें यह एहसास कराया कि पलायन भले ही आवश्यक हो, लेकिन अपनी जड़ों से जुड़े रहना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

राठ के होल्यारों की टीम पैठाणी से मुख्यमंत्री के बुलावे पर वापस देहरादून आई
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राठ के ये होल्यार, जो सुबह दून से लौटे थे, ने पौड़ी की सड़कों पर अपने अनोखे अंदाज में होली गायन किया। उनकी आवाज़ों में जो उल्लास और उत्साह था, उसने राहगीरों को भी अपनी ओर खींच लिया। होली का यह गायन न केवल एक परंपरा के रूप में था, बल्कि यह उनके गांव की यादों और वहां के जीवन की कठिनाइयों को भी बयां कर रहा था। जैसे ही ये होल्यार पाबौ होते हुए पैठाणी पहुंचे, उन्होंने ग्राम्य जीवन की समस्या को एक नए अंदाज में प्रस्तुत किया। इसी दौरान, डीएम पौड़ी, डॉ. आशीष चौहान ने फोन करके उन्हें मुख्यमंत्री के संदेश से अवगत कराया, जिसमें उन्हें सीएम आवास पर होली मिलन कार्यक्रम में निमंत्रित किया गया था। इस जानकारियों ने होल्यारों के लिए एक अनपेक्षित अवसर उत्पन्न किया। टीम के सदस्य, जो अपने गांव जाने का इरादा रखे हुए थे, तुरंत पौड़ी की ओर बढ़े। रात के 9 बजे तक वे पौड़ी पहुंचे और वहां से डीएम ने उन्हें तीन गाड़ियों के काफिले के साथ दून पहुँचाया। उनकी गाड़ी में हूटर भी थे, जिसे होल्यार पहली बार बड़ी इज्ज़त समझ रहे थे। अगले दिन, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आवास पर होली गीत गाते समय, इन होल्यारों ने न केवल होली का उत्सव मनाया, बल्कि उन्होंने अपने पलायन गीत गा कर पहाड़ की वास्तविक भी बताई। मुख्यमंत्री ने इन होल्यारों को सम्मानित किया।

होल्यारों की टीम के सदस्य
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पंकज रावत उर्फ पंखु पहाड़ी (बड़ेथ), रेवाधर प्रसाद (बुरांसी), धीरज नेगी (कनाकोट), प्रेम रावत (कुटकंडाई), संजय मुंडेपी (कुंडिल), लल्ली भाई (ग्वालखड़ा), गौरव नौटियाल, प्रियांशु नौटियाल, सचिन पुसोला, अनिल पंत, संतोष नौटियाल, योगेश पुसोला (सभी ग्राम दौला), महावीर प्रसाद (बनानी), प्रियांशु नेगी (खंडगांव), अरविंद नेगी (स्योली तल्ली), दीपक नेगी (खंडगांव), सुजल रावत (थापला) और प्रदीप बर्खाल (बनास)।

टीम लीडर पंकज रावत उर्फ पंखु पहाड़ी व्यवसाय के रूप में अपनी जीप चलाते हैं। वह लगभग हर दिन राठ के पैठानी से देहरादून जीप में सवारियों को लाते-ले जाते हैं। इसी लिए देहरादून में कहाँ-कहाँ राठी निवासरत हैं, वहीं वह होल्यार बनकर गए। उत्तराखण्ड में बहुत जगह होल्यारों की टीम ने होली मनाई, लेकिन राठ त्रिपट्टी की इस टीम की सर्वोच्च प्रशंसा हो रही है।

 

Reported By: Shishpal Gusain

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होली पर जुम्मे की नमाज समय बदलाव पर शहर काजी को आभार https://www.localcube.in/uttarakhand/thanks-to-shahar-qazi-for-changing-the-time-of-jumme-namaaz-on-holi/ https://www.localcube.in/uttarakhand/thanks-to-shahar-qazi-for-changing-the-time-of-jumme-namaaz-on-holi/#respond Sat, 15 Mar 2025 11:40:57 +0000 https://crimepatrol.live/?p=89743 क्राइम पेट्रोल: हिंदुओं के पावन पर्व होली पर जुम्मे की नमाज का समय दोपहर बाद करने के निर्णय का आह्वान कर शांति और सद्भावना का संदेश देने पर शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी जी से आज समाजसेवियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पुष्प गुच्छ देकर शांति और सौहार्द का संदेश देने के लिए आभार प्रकट किया। […]

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क्राइम पेट्रोल: हिंदुओं के पावन पर्व होली पर जुम्मे की नमाज का समय दोपहर बाद करने के निर्णय का आह्वान कर शांति और सद्भावना का संदेश देने पर शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी जी से आज समाजसेवियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पुष्प गुच्छ देकर शांति और सौहार्द का संदेश देने के लिए आभार प्रकट किया।

इस अवसर पर शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी जी ने कहा कि गंगा जमुना तहजीब ही इस देश की असली पहचान है और हमें परस्पर एक दूसरे से सद्भावना रखनी चाहिए और अमन चैन से रहकर अपने देश की तरक्की के लिए कार्य करना चाहिए।

प्रतिनिधि मंडल में शामिल समाजसेवी मोहन खत्री सुजाता पॉल सत्य प्रकाश चौहान, पंकज सिंह क्षेत्री, सुनील थपलियाल ने शहर काजी के इस निर्णय पर उनका आभार व्यक्त किया।

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फूलदेई पर्व पर मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल की प्रदेशवासियों को बधाई https://www.localcube.in/uttarakhand/minister-dr-premchand-aggarwal-congratulates-the-people-of-the-state-on-phuldehi-festival/ https://www.localcube.in/uttarakhand/minister-dr-premchand-aggarwal-congratulates-the-people-of-the-state-on-phuldehi-festival/#respond Sat, 15 Mar 2025 10:36:12 +0000 https://crimepatrol.live/?p=89730 कैबिनेट मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने फूलदेई पर्व पर प्रदेशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने फूलदेई पर्व के अवसर पर प्रदेश के सभी बच्चों को आशीर्वाद देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने बधाई व शुभकामनाएं देते हुए देश व प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की। उन्होंने कहा कि लोक पर्वों का हमारे […]

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कैबिनेट मंत्री डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने फूलदेई पर्व पर प्रदेशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने फूलदेई पर्व के अवसर पर प्रदेश के सभी बच्चों को आशीर्वाद देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने बधाई व शुभकामनाएं देते हुए देश व प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की। उन्होंने कहा कि लोक पर्वों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है।

डा. प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि पहाड़ में प्रतिवर्ष चैत्र मास की संक्रांति से फूलदेई उत्सव मनाया जाता है। बच्चों में इसका खास उत्साह देखने को मिलता है। कहा कि आज इस उत्सव को लेकर नन्हे मुन्ने बच्चों में उत्साह देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि घरों की चौखट पर फूल डालने के बदले में ग्रामीण फुलवारी बच्चों को परम्परागत ढंग से चौलाई से बने खील व गुड़ देते हैं।

 

Reported By: Arun Sharma

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टिहरी का यह होली उत्सव हमारे इतिहास की एक अमूल्य धरोहर है https://www.localcube.in/uttarakhand/this-holi-festival-of-tehri-is-a-priceless-heritage-of-our-history/ https://www.localcube.in/uttarakhand/this-holi-festival-of-tehri-is-a-priceless-heritage-of-our-history/#respond Sat, 15 Mar 2025 09:31:25 +0000 https://crimepatrol.live/?p=89716 टिहरी शहर, जिसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में जाना जाता है, की उम्र 190 वर्षों तक रही। इस अवधि में, टिहरी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं, जिनमें राजाओं के साथ जनता का प्यार और संघर्ष दोनों शामिल हैं। यह शहर, जो पहाड़ों के बीच बसा हुआ था, अपनी जीवंतता और सांस्कृतिक विरासत के […]

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टिहरी शहर, जिसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में जाना जाता है, की उम्र 190 वर्षों तक रही। इस अवधि में, टिहरी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं, जिनमें राजाओं के साथ जनता का प्यार और संघर्ष दोनों शामिल हैं। यह शहर, जो पहाड़ों के बीच बसा हुआ था, अपनी जीवंतता और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध था। टिहरी के लोग अपनी सामुदायिकता और ऐतिहासिकता के लिए जाने जाते थे, जो अब कहीं और देखने को नहीं मिलती।

टिहरी बांध का निर्माण, जो 2005 में पूरा हुआ, ने इस ऐतिहासिक शहर को जल समाधि दे दी। इस बांध के निर्माण के कारण टिहरी और इसके आसपास के लगभग डेढ़ सौ गांवों को अपने अस्तित्व से हाथ धोना पड़ा। इस बांध का उद्देश्य राष्ट्र के 9 राज्यों के लिए बिजली उत्पादन, उत्तर प्रदेश में सिंचाई के लिए व्यवस्थाएं और नई दिल्ली के लिए पेयजल की आपूर्ति करना था। लेकिन इस विकास की कीमत थी, टिहरी जैसे जीवंत शहर को खोना।

टिहरी की यादें केवल उसकी भौतिक उपस्थिति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह लोगों की भावनाओं और परंपराओं से भी जुड़ी हैं। शहर में मनाए जाने वाले त्यौहार, विशेषकर होली, का उल्लेख करना आवश्यक है। महाराजा और जनता के बीच जो प्रेम और समर्पण था, वह इस पर्व के दौरान और भी गहरा होता था। इस तरह की होली शायद ही किसी अन्य पहाड़ी शहर में मनाई जाती हो। लेकिन अब यह सभी यादें और परंपराएं भी टिहरी के साथ ही डूब गई हैं। टिहरी, एक ऐसा शहर जो अपनी संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता था, अब एक स्मृति बनकर रह गया है। जबकि बांध ने राष्ट्र के लिए विकास की नई राहें खोलीं, लेकिन साथ ही इसने एक अद्वितीय और ऐतिहासिक स्थल को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया। टिहरी की कहानी न केवल उसके भौगोलिक परिवर्तन की कहानी है, बल्कि यह जन-जीवन और संस्कृति की भी एक गूंज है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। टिहरी की यादें और इसके अनुभव सदैव लोगों के दिलों में जीवित रहेंगे, और इसके योगदानों को कभी भुलाया नहीं जाएगा।

पुराने दरबार में महारानी गुलेरिया राज दादी के महल के सामने, चांदनी लगती थी।
नवमीं से होली का दरबार लगता। महाराजा का महल तो नए दरबार चनाखेत में था लेकिन यह होली की महफिल पुराने दरबार में लगती थी जहां महाराजा नरेन्द्र शाह की दादी रहती थीं। पुराने दरबार में महारानी गुलेरिया राज दादी के महल के सामने, चांदनी लगती थी। कुल कर्मचारीगण चाहे किसी वर्ग के हों-हिंदू हों या मुसलमान अथवा ईसाई जो भी हों, सबकी होली के इस उत्सव में शामिल होते थे। प्रत्येक कर्मचारी होली की सफेद चमकती पोशाक में चाँदनी के नीचे अपने-अपने पद के अनुसार बैठ जाते थे। महाराजा की मसनद, जो बिल्कुल सफेद होती थी, सबसे पर सिराहने पर लगती थी, मसनद के पीछे की पंक्ति में महाराज के कुटुम्बी जन तथा बिरादरी के ठाकुर लोग बैठते थे। दाहिनी तरफ रियासत के समस्त कर्मचारी अपने-अपने दर्जे के मुताबिक बैठ जाते थे और बाईं ओर शहर के या रियासत के अन्य लोग, जो महफिल में शामिल होना चाहते थे, बैठते थे। जब सब लोग अपने-अपने स्थानों पर बैठ जाते थे तब प्रत्येक महफिल में भाग लेने वाले को पीला सूखा रंग व लाल गुलाल आदि अंजुली भर-भर कर दिया जाता था। महाराजा की मसनद के सामने कई रंगों से भरी रकाबियां रखी जाती थीं और एक बड़े थाल में विभिन्न रंगों के कुमकुमे सजा के रखे जाते थे। गीले, पानीदार भांति-भांति के रंगों, जिन रंगों को टेसू व अन्य रंगीन लकड़ियों को उबाल कर बनाया जाता था, होली दरोगा कई दिन पूर्व से जिनकी समुचित तैयारी कर लेता था, उनको पीतल की बाल्टियों व कुंडों में भरकर महफिल में बैठे अहलकारों के सामने व अन्य व्यक्तियों के सम्मुख स्थान-स्थान पर परस दिया जाता था, साथ ही पिचकारियां भी हर बाल्टी व कुंडे के साथ रखी होती थीं। महाराज के सामने भी रंग भरा कुंड होता था जो प्रायः चांदी का होता था। यह गीला रंग बड़ा शोख और चटक होता था- लाल, पीला व बैंगनी। होली की जब सब तैयारी हो जाती थी तो महाराजा अपनी दादी जी के भवन से बाहर आते थे। होली खेलते थे।

बद्रीनाथ जी पर कोरा रंग लगाया जाता था।
अष्टमी की सुबह से होली की शुरुआत होती थी। इस दिन, राज्य ज्योतिषी के अनुसार, सामूहिक उत्सव की तैयारियां प्रारंभ होती थीं। सफेद चिट्टे कपड़ों में, यानी अचकन और चूड़ीदार पजामे में सजे-संवरे लोग, महाराजा सहित, राजमहल की ड्योढ़ी पर इकट्ठा होते थे। जय-जयकार के साथ, वे इससे आगे बढ़कर शहर के मंदिरों की ओर निकलते थे, जहां भगवान शिव, श्री रघुनाथ जी और श्री बद्रीनाथ जी को रंग लगाते थे। यह परंपरा केवल कोरे रंगों के साथ होती थी, भीगे रंग का चलन इस दिन नहीं था, जिससे यह पर्व और भी पवित्र और आध्यात्मिक बन जाता था। टिहरी का बद्रीनाथ मंदिर था, जिसे महारानी गुलेरिया द्वारा बनवाया गया। यह मंदिर टिहरी के भागीरथी व भिलंगना नदी के संगम के निकट स्थित था और इसकी स्थापना का एक अनूठा इतिहास था। महारानी गुलेरिया, जो एक गहरी धार्मिक आस्था रखती थीं, अपने जीवन में बद्रीनाथ धाम जाने का संयोग नहीं पा सकीं। उनकी इस आसक्ति ने उन्हें टिहरी में एक दिव्य स्थान बनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने पुराने दरबार के नीचे संगम के किनारे पर यह मंदिर बनवाने का निर्णय लिया। इस मंदिर का निर्माण न केवल उनकी धार्मिक भावना का प्रतीक था, बल्कि इसने टिहरी क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी समृद्ध किया।

Reported By: Shishpal Gusain

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दिल्ली: गढ़वाल सांसद बलूनी के निवास पर रंगों, गीतों और नृत्य से गूंज उठा महापर्व https://www.localcube.in/uttarakhand/delhi-the-grand-festival-resonated-with-colours-songs-and-dance-at-the-residence-of-garhwal-mp-baluni/ https://www.localcube.in/uttarakhand/delhi-the-grand-festival-resonated-with-colours-songs-and-dance-at-the-residence-of-garhwal-mp-baluni/#respond Sat, 15 Mar 2025 05:10:19 +0000 https://crimepatrol.live/?p=89676 14 मार्च 2025 को पूरे देश में होली हर्षोल्लास के साथ में मनाई गई। गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के सांसद, भाजपा के मीडिया प्रमुख श्री अनिल बलूनी के आवास पर दिल्ली में होली मनाने की लिए बड़ी संख्या में दिल्ली स्थित हिमालय परिवार के सदस्य इकठ्ठे हुए। ऐसा लग रहा था जैसे पूरा उत्तराखंड दिल्ली में […]

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14 मार्च 2025 को पूरे देश में होली हर्षोल्लास के साथ में मनाई गई। गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के सांसद, भाजपा के मीडिया प्रमुख श्री अनिल बलूनी के आवास पर दिल्ली में होली मनाने की लिए बड़ी संख्या में दिल्ली स्थित हिमालय परिवार के सदस्य इकठ्ठे हुए। ऐसा लग रहा था जैसे पूरा उत्तराखंड दिल्ली में उतर आया हो। ढोल दमाऊं वादन में भी गढ़वाल और कुमाऊं की सहभागिता ने रही। इस उत्सव में सांसद अनिल बलूनी उनकी सहधर्मी श्रीमती दीप्ति बलूनी, दिल्ली विधानसभा सदस्य रविन्द्र सिंह नेगी, उत्तराखंड भाजपा हिमालय परिवार परामर्श दाता एवं वरिष्ठ सदस्य इस होली मिलन समारोह के अध्यक्ष राजेश्वर पैन्यूली तथा उत्तराखंड की अनेक सांस्कृतिक संस्थाओं के गणमान्य सदस्य उपस्थित थे। उत्तराखंड की होली पर ब्रज भाषा का प्रभाव सदियों से चला आया है वह प्रभाव इस आयोजन में भी देखने को मिला।

.. काहे को तेरो रंग बना है, काहे कि है पिचकारी… होली है! गोल दायरे में हुल्यारे अपने पद संचालन कर रहे थे.. इतने में वादकों ने चैत की चैताली…. गाने को पांडवणृत्य की लय पर शुरू किया मानों सभी पांडव धरती पर उतर आए हों … रंग खेला जा रहा था सभी नर नारी उल्लासपूर्वक गाने के साथ नाचने लगे। ऐजा हे भानुमति पाबो बाजार… गढ़वाल मा बाघ लग्यूं च बाघ कि च डैर, प्वां बाघ रे… एक से बढ़कर एक गीत और नाच की तालों ने सब को नाचने के लिए विबस कर दिया।

सांसद बलूनी और विधायक नेगी पूरे आयोजन का नृत्य करते हुए आनंद लेते रहे। बीच बीच में मिठाइयों और नमकीन का दौर भी चलता रहा।

होली का पारंपरिक रूप देखने को मिला अल्मोड़ा की होली में। विशुद्ध होली के गीत, लय और ताल। यह होली कुछ कलाकारों ने अभी तक बचा रखी है। मंझे हुए कलाकारों की प्रस्तुति मंद गति की गायकी के साथ अत्यंत मनमोहक लग रही थी। इस समारोह में दिल्ली हिंदी, संस्कृत, तथा गढ़वाली, कुमाऊनी एवं जौनसारी एकेडमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ.जीत राम भट्ट, उत्तराखंड की लोक संस्कृति के प्रचेता, लेखक, (आयुष मंत्रालय में राजभाषा समिति के पूर्व सदस्य, मीडिया विश्लेषक) व स्वतंत्र पत्रकार पार्थ सारथि थपलियाल, शिक्षाविद डॉ. विपिन मैखुरी, कवि वीर सिंह राणा, समाज सेवी श्री दिनेश डिमरी और उत्तराखंड की संस्कृति के वरिष्ठ लोक कलाकार शोभायमान थे। जिनका सम्मान भी किया गया।

अंत में सांसद अनिल बलूनी ने कलाकारों और कार्यकर्ताओं का अभिनंदन किया। उन्होंने अपने संबोधन में उत्तराखंड की संस्कृति की व्यापकता को बताया और उसे संरक्षित करने पर बल दिया। श्री बलूनी ने उपस्थित जन समूह से आग्रह किया कि वे अपने गांव अवश्य जाते रहें और अपने गांव की मतदाता पंजिका में अपना नाम अवश्य दर्ज कराएं।

 

Reported By: Shishpal Gusain

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होली पर अलग-अलग जगह अलग-अलग परंपराएं हैं https://www.localcube.in/festival/different-places-have-different-traditions-on-holi/ https://www.localcube.in/festival/different-places-have-different-traditions-on-holi/#respond Thu, 13 Mar 2025 10:52:34 +0000 https://crimepatrol.live/?p=89670 होली पर अलग-अलग जगह अलग-अलग परंपराएं हैं। कुछ क्षेत्रों में इस मौके पर लोग नंगे पैरों से जलती होलिका को पार करते हैं। होली तंत्र साधना का भी अवसर होता है।कुछ स्थानों पर श्मशान की होली भी मनाई जाती है। पिछले कुछ वर्षों से किन्नर हरिद्वार में मशाने की होली खेल रहे हैं।आज भी किन्नर […]

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होली पर अलग-अलग जगह अलग-अलग परंपराएं हैं। कुछ क्षेत्रों में इस मौके पर लोग नंगे पैरों से जलती होलिका को पार करते हैं। होली तंत्र साधना का भी अवसर होता है।कुछ स्थानों पर श्मशान की होली भी मनाई जाती है। पिछले कुछ वर्षों से किन्नर हरिद्वार में मशाने की होली खेल रहे हैं।आज भी किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर मां भवानी के नेतृत्व में हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट तक शोभायात्रा निकालकर वहां चिता की भस्म से होली खेली गई। किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर भवानी का कहना है कि किन्नरों में मशाने की होली खेलने की परंपरा प्राचीन समय से है।

Reported By : Ramesh Khanna

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उत्तराखंड में पत्रकार संगठन का होली मिलन और सम्मान समारोह आयोजित https://www.localcube.in/uttarakhand/holi-milan-and-felicitation-ceremony-of-journalist-organization-organized-in-uttarakhand/ https://www.localcube.in/uttarakhand/holi-milan-and-felicitation-ceremony-of-journalist-organization-organized-in-uttarakhand/#respond Thu, 13 Mar 2025 09:51:59 +0000 https://crimepatrol.live/?p=89666 पत्रकार संगठन (मीडिया राइट) उत्तराखण्ड द्वारा नगर निगम टाउनहॉल में पहला होली मिलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया । महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोद्धानंद जी महाराज , विनय माणिक सेंटर हेड एलन इंस्टीट्यूट , डाक्टर महेंद्र राणा एमडी आरोग्य मेडीसिटी , सुमित गर्ग ब्लड फ़्रेंड, जयसिंह रावत , कुंवर राज अस्थाना वरिष्ठ पत्रकार, यूनियन के […]

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पत्रकार संगठन (मीडिया राइट) उत्तराखण्ड द्वारा नगर निगम टाउनहॉल में पहला होली मिलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया । महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोद्धानंद जी महाराज , विनय माणिक सेंटर हेड एलन इंस्टीट्यूट , डाक्टर महेंद्र राणा एमडी आरोग्य मेडीसिटी , सुमित गर्ग ब्लड फ़्रेंड, जयसिंह रावत , कुंवर राज अस्थाना वरिष्ठ पत्रकार, यूनियन के अध्यक्ष अमित सिंह नेगी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम विधिवत शुरुआत की !

मंच का संचालन करते हुए यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष विक्रम श्रीवास्तव ने यूनियन के बारे में बताया । संस्कृति विभाग की टीम के द्वारा रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने पत्रकारिता के उन दिनों के बारे में बताया जब टेलीग्राफ का दौर हुआ करता था इसके साथ ही बदलते समय के साथ आज पत्रकारिता के सामने एआई जैसी तकनीक सामने है जिसका अगर सही सदुपयोग किया जाये तो समाजहित के लिये बहुत उपयोगी होगा लेकिन अगर उसका सही उपयोग नहीं किया गया तो वह काफ़ी घातक सिद्ध हो सकता है । इसी क्रम में वरिष्ठ पत्रकार कुँवर राज अस्थाना ने मंच से बोलते हुए कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत (भारतीय संस्कृति) विविध और समृद्ध है, जिसमें धर्म, कला, साहित्य, संगीत, नृत्य, भाषाएँ, और जीवनशैली शामिल हैं, जो देश के इतिहास और परंपराओं को दर्शाती हैं।

मुख्य अतिथि के रूप में आशीर्वाद देने आये महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि जी महाराज ने मंच से बोलते हुए कहा आज कल देवभूमि को किसी की नज़र लग गई है यहाँ वातावरण अशुद्ध सा लग रहा है लोग राजनीतिक लाभ के लिए क्षेत्र के आधार पर राज्य को बाटना चाह रहे है पहाड़ के बिना मैदान सुना है मैदान के बिना पहाड़ । मैं उन लोगो को यही कहना चाहता हूँ आप पहाड़ में खेती करने के लिए मैदान को ढूँढते हैं और पानी के लिए हम पहाड़ की ओर देखते है ।

कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगो को सम्मानित किया गया । सरकारी सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले मुकेश सिंह यातायात पुलिस देहरादून , अखिलेश सिंह यातायात पुलिस देहरादून , रेखा भट्ट कंपनी कमांडर होमगार्ड्स, रमेश पुंडीर होमगार्ड्स, जसवीर सिंह पीआरडी , बहादुर सिंह कन्याल सूचना विभाग , संजय कंडारी सूचना विभाग को सम्मानित किया गया । इस दौरान अमित सिंह नेगी , गिरीश तिवारी , विक्रम श्रीवास्तव, सुभाष गौड़ , आशीष रमोला, मोनिका डबराल, अधीर यादव, अजय पांडेय, अफ़ज़ल अहमद, धीरेंद्र प्रताप सिंह , चेतन खड़का, धीरज सोम,उमकान्त कुकरेती , स्वप्निल सिन्हा सहित कई पत्रकार एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

 

Reported By: Arun Sharma

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